प्रभात रंजन द्वारा दिलीप कुमार की अनुवादित आत्मकथा 'वजूद और...
(Narrative Poetry)
कहानी में सिमटा ज़िंदगी का सफर मुझे बचपन से ही फ़िल्में देखने का बहुत शौक़ रहा है और अच्छे संवाद ख़ुद ही बुदबुदाता रहता था। दिलीप कुमार की संवा...
कहानी में सिमटा ज़िंदगी का सफर मुझे बचपन से ही फ़िल्में देखने का बहुत शौक़ रहा है और अच्छे संवाद ख़ुद ही बुदबुदाता रहता था। दिलीप कुमार की संवा...
पेशे से चिकित्सक और हिन्दी साहित्य की दुनिया में कथेतर साहित्य के जाने पहचाने लेखक प्रवीण की इस किताब में रूस के विकास की कहानी साइबेरिया से होते हुए आधुनिक रूस तक प...
यह उपन्यास अकबर के कार्य काल की पृष्टभूमि, एक चित्रकार के दृष्टिकोण, उसकी सोच और उसकी अपनी जीवन यात्रा के इर्द-गिर्द घटती घटनाओं का ब्यौरा है। साथ ही साथ आगरा की सिस...
जो होता है अच्छे के लिए होता है । उस दिन जब धुआँ धुआँ रूह नीलांबर कोलकाता की नाट्य प्रस्तुति देखने गया तो नीलकमल जी पहले से बैठे मिले। मैंने उनसे मिलते ही उनके नए गद्य...
यह सुखद संयोग है कि “ग़ालिब छुटी शराब” कुछ महीने पहले ही पढ़ी मैंने। सारे किस्से अभी भी ज़ेहन में चलचित्र की तरह जैसे रिकार्डेड हैं, और मुझे याद है मैंने ममता कालिया जी क...
कई बड़े कलाकारों के साक्षात्कार में सुना है कि अभिनय शैली में सबसे मुश्किल है हँसाना, उसी तरह लेखन विधा में सबसे मुश्किल है हास्य का परिष्कृत प्रकार यानी व्यंग्य लिखना...