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14 April 2025

दोहे और मुहावरों को अमरत्व प्राप्त है और अगर कहानियाँ इस ओर मुखर होकर अमरत्व चख लें तो मुहावरों में बदल जाते हैं। लेखनी का मुहावरों में बदलना कोई असाधारण घटना नहीं हो...

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14 April 2025

इस किताब को पढ़ते हुए मेरा मन एक बायस लिए है क्योंकि मुझे पुण्डरीक जी की वो कविताएँ बेहद पसंद है जो परिवार के इर्द गिर्द घूमती हैं । अब आगे देखा जाए मेरा पूर्वाग्रह टू...

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14 April 2025

कुछ उत्तर प्रश्नों का विस्तार करते हैं तो कुछ निस्तार, पर यहाँ प्रश्नों की लड़ियाँ उसके प्रतिबिम्बित उत्तर के साथ खड़ी मिलेंगी। असार से सार पृथक करने का यह अथक प्रयास आश...

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14 April 2025

वो डरते हैं मेरे सपनों से राकेश मिश्र अपनी कविताओं की श्रृंखला के शुरुआत में ही संवाद और उसके विस्तार पर ज़ोर देते हैं। सच है कि आज ज...

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31 May 2023

1. समय की टहनी पर टंगा चाँद निहारता है मुझे और अपनी ही छाया की गिरफ़्त में छटपटाती हूँ मैं सीली-सी रात मेरी सहेली और कौतुक...

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31 May 2023

कुछ किताबें शुरुआती पन्नों से ही पाठकों को अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर देती हैं। अपने अलग मिज़ाज़ और कथ्य को लेकर लिखे उपन्यास 'हरामी' को पढ़ना शुरू करते ही कुछ...

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