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13 January 2025

कुछ उत्तर प्रश्नों का विस्तार करते हैं तो कुछ निस्तार, पर यहाँ प्रश्नों की लड़ियाँ उसके प्रतिबिम्बित उत्तर के साथ खड़ी मिलेंगी। असार से सार पृथक करने का यह अथक प्रयास आश...

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13 January 2025

वो डरते हैं मेरे सपनों से राकेश मिश्र अपनी कविताओं की श्रृंखला के शुरुआत में ही संवाद और उसके विस्तार पर ज़ोर देते हैं। सच है कि आज ज...

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31 May 2023

1. समय की टहनी पर टंगा चाँद निहारता है मुझे और अपनी ही छाया की गिरफ़्त में छटपटाती हूँ मैं सीली-सी रात मेरी सहेली और कौतुक...

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31 May 2023

कुछ किताबें शुरुआती पन्नों से ही पाठकों को अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर देती हैं। अपने अलग मिज़ाज़ और कथ्य को लेकर लिखे उपन्यास 'हरामी' को पढ़ना शुरू करते ही कुछ...

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31 May 2023

रक्षा दुबे चौबे हमारे समय की सशक्त कवयित्री हैं। उनके यहाँ उनकी कविताओं में स्त्री सवाल स्वाभाविक रूप से आते हैं। रक्षा को इसका जवाब भी भलीभांति मालूम है। वे उन वर्जना...

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01 June 2023

1. दिन रोटी उगाता है और भूख सोखती है रात एक प्रेम है  जो बांधे रखता है सबको साथ -साथ जंगल में आदम और सुख  ठीक वैसे ही मिलत...

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