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09 December 2024

'चाँद गवाह' जीवन के अधूरेपन में प्रेम की परिपूर्णता खोजती हुई विपरीत धुरी पर घूमती स्त्री के मन के गहरे उद्वेलन की कथा है। वहाँ उस बवंडर में कुछ छपाक हुआ और वि...

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09 December 2024

दोहे और मुहावरों को अमरत्व प्राप्त है और अगर कहानियाँ इस ओर मुखर होकर अमरत्व चख लें तो मुहावरों में बदल जाते हैं। लेखनी का मुहावरों में बदलना कोई असाधारण घटना नहीं हो...

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09 December 2024

इस किताब को पढ़ते हुए मेरा मन एक बायस लिए है क्योंकि मुझे पुण्डरीक जी की वो कविताएँ बेहद पसंद है जो परिवार के इर्द गिर्द घूमती हैं । अब आगे देखा जाए मेरा पूर्वाग्रह टू...

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09 December 2024

कुछ उत्तर प्रश्नों का विस्तार करते हैं तो कुछ निस्तार, पर यहाँ प्रश्नों की लड़ियाँ उसके प्रतिबिम्बित उत्तर के साथ खड़ी मिलेंगी। असार से सार पृथक करने का यह अथक प्रयास आश...

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09 December 2024

वो डरते हैं मेरे सपनों से राकेश मिश्र अपनी कविताओं की श्रृंखला के शुरुआत में ही संवाद और उसके विस्तार पर ज़ोर देते हैं। सच है कि आज ज...

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31 May 2023

1. समय की टहनी पर टंगा चाँद निहारता है मुझे और अपनी ही छाया की गिरफ़्त में छटपटाती हूँ मैं सीली-सी रात मेरी सहेली और कौतुक...

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