अजीत कौर की आत्मकथा ‘ख़ानाबदोश’ पर यतीश कुमार की काव्यात्मक...
(Narrative Poetry)
1. नाभि से कान सटाये हामला औरत-एक ज़ख्मी बाज़ नंगे दरख़्त की सबसे उपरी टहनी पर शोक गीत गा रही है ज़ख़्मों में इतना रोष है कि...
1. नाभि से कान सटाये हामला औरत-एक ज़ख्मी बाज़ नंगे दरख़्त की सबसे उपरी टहनी पर शोक गीत गा रही है ज़ख़्मों में इतना रोष है कि...
रचनाकार गीता श्री ने इस उपन्यास को लिखने के पहले अपने मन मस्तिष्क को उस काल के साँचे में ढाला है ताकि वहाँ की आवाज़ हम सुन सकें। भाषा को समय के अनुकूल रखा गया और मनोवि...
कविताएँ अक्सर ही रोकती हैं, टोकती हैं और आपसे बतियाती हैं। इस तरह कविता संवाद का एक ऐसा पुल बनाती हैं जिस पर दोतरफा आवाजाही होती है। जो कविता यह न कर पाए, वह प्रायः अस...
साहित्य जीवन को उसके संवेदनात्मक रूप में दिखाने वाला सशक्त माध्यम होता है। कल्पना या फंतासी बुनते हुए भी कहानीकार हकीकत के आसपास रहता है। जीवनानुभव कहानी को जीवन देते...
बिना किसी भी पूर्वाग्रह के मैंने इस किताब को छुआ। शुरुआती पंक्तियों में ही लगा कि गद्य नहीं है । सोचने लगा, सुजाता कविता क्यों नहीं लिखतीं। ऐसा मैंने रणेन्द्र का गद्य...
किस्सगोई एक कला है और अगर वो संस्मरणात्मक कलेवर लिए हो तो और रोचक हो उठता है। पहली कहानी ने मुझे अपने एक दूर के रिश्तेदार की याद दिला दी। वो कहती थीं कि सिगर...