'वजूद और परछाई
(Narrative Poetry)
‘वजूद और परछाई’ - दिलीप कुमार, आत्मकथा - दिलीप कुमार द्वारा उदयतारा नायर को सुनाई गयी और लिखी गयी जिसका हिन्दी में उतना ही सुंदर अनुवाद प्रभात रंजन ने किया है। प्रकाशक -...
‘वजूद और परछाई’ - दिलीप कुमार, आत्मकथा - दिलीप कुमार द्वारा उदयतारा नायर को सुनाई गयी और लिखी गयी जिसका हिन्दी में उतना ही सुंदर अनुवाद प्रभात रंजन ने किया है। प्रकाशक -...
पेशे से चिकित्सक और हिन्दी साहित्य की दुनिया में कथेतर साहित्य के जाने पहचाने लेखक प्रवीण की इस किताब में रूस के विकास की कहानी साइबेरिया से होते हुए आधुनिक रूस तक पहुँ...
1. साँस की हाँफ में गलफड़ों का भी अपना रिदम है डर अगर मिज़राब है तो सिगरेट की चिंगारी एक उम्मीद हालात ऐसे है कि निर्वासन और निषेध आसेब बन कई चेहरें लिए...
बिना किसी भी पूर्वाग्रह के मैंने इस किताब को छुआ। शुरुआती पंक्तियों में ही लगा कि गद्य नहीं है । सोचने लगा, सुजाता कविता क्यों नहीं लिखतीं। ऐसा मैंने रणेन्द्र का गद्य पढ़त...
जब कभी भी इस कविता संग्रह को पढ़ा, दिल ने कहा कि एक बार और पढ़ लूँ फिर लिखूंगा।लगभग एक साल की जद्दोजहद के बाद बहुत हिम्मत जुटा कर पर आज सोचा सका कि अब इन कविताओं पर लिख ही...
(तीन खंडों में 27-27-27 कविताओं को आदि,मध्य और अंत के क्रम में श्रेणीबद्ध ,संयोजित की हुई कविताएँ ।) अभी पढ़ना शुरू ही किया था कि समर्पण ने जकड़ लिया जहां लिखा था ‘माँ...