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28 December 2024

कहानियाँ मुसलसल चलती हैं मुकम्मल होना इनका कभी भी तय नहीं था। ये कवितायें नहीं थीं। ये कहानियाँ जलने और बुझने के बीच भटक रही हैं जिसकी टीस आपको बेचैन कर देगी। पढ़कर लगे...

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28 December 2024

इस किताब को छूते ही लगा कड़क ठंड में धूप का एक टुकड़ा ही होती हैं कविताएँ, सच। बाह्य और अंतर्दृष्टि को एक साथ अंतस से जोड़ते हुए कवि का मन जो देख पाता है वह साधारण नेत्र कहा...

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28 December 2024

‘वजूद और परछाई’ - दिलीप कुमार, आत्मकथा - दिलीप कुमार द्वारा उदयतारा नायर को सुनाई गयी और लिखी गयी जिसका हिन्दी में उतना ही सुंदर अनुवाद प्रभात रंजन ने किया है। प्रकाशक -...

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28 December 2024

पेशे से चिकित्सक और हिन्दी साहित्य की दुनिया में कथेतर साहित्य के जाने पहचाने लेखक प्रवीण की इस किताब में रूस के विकास की कहानी साइबेरिया से होते हुए आधुनिक रूस तक पहुँ...

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28 December 2024

1. साँस की हाँफ में गलफड़ों का भी अपना रिदम है डर अगर मिज़राब है तो सिगरेट की चिंगारी एक उम्मीद हालात ऐसे है कि निर्वासन और निषेध आसेब बन कई चेहरें लिए...

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28 December 2024

बिना किसी भी पूर्वाग्रह के मैंने इस किताब को छुआ। शुरुआती पंक्तियों में ही लगा कि गद्य नहीं है । सोचने लगा, सुजाता कविता क्यों नहीं लिखतीं। ऐसा मैंने रणेन्द्र का गद्य पढ़त...

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