सपना शिवाले सोलंकी की किताब ‘नदी-सी तुम’ पर यतीश कुमार की समीक्षा

On 22 October 2024 by सपना शिवाले सोलंकी

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छोटी-छोटी प्रेम कहानियों का संग्रह है जिसे बहुत जतन से सजाया गया है।फूलों का एक विशेष स्थान है शिवाले की इन कहानियों में, जिसकी ख़ुशबू पढ़ने के बाद ठहर जाती है आपके ही साथ। सबसे अच्छी बात ये है कि एक प्रवाह है कहानियों में अवरोध नहीं है जिसे बचाये रखना अच्छे-अच्छे कथाकारों के लिए आसान नहीं। कथ्य सुलझे शब्दों में है और गठन शब्दों की परिस्तिथियों के अनुसार जो पठनीयता को और आकर्षक बनाती है।

सोशल मीडिया का रंग भी है इन कहानियों में।


“अलविदा”
ये कहानी सामंजस्य और परिपक्वता की वकालत करती है, जिसमें अच्छे गीतों के मुखड़ों का इस्तेमाल किया गया है और अंत में एक प्यारी सी थपकी है जिसके बाद अलविदा कहना भी अच्छा लगता है।

“जरबेरा”
एक दूसरे की कमज़ोरी और आदत की कहानी जो हवाओं के रुख़ के हवाले हो गयी। फूलों ने अपना काम इस कहानी में भी किया है ख़ुशबू सिमटी रही बस फूल ग़ायब मिले !

“शुकराना”
यह कहानी शुरू से ही ग्रिप में ले लेती है, एक पल को नहीं छोड़ती। पूरा ग्राफ ठीक लय में उठता चला जाता है। कहानी के अंत तक चॉकलेट के स्वाद से मन मीठा हो गया। (18 साल पहले मोबाइल बेल्जियम में रहा होगा यह प्रश्नवाचक है )

“तेरे इश्क़ में”
बहुत प्यारी कहानी, मुहब्बत की धर्म पर विजय, सकारात्मक सोच और सच्ची पहल है इस कहानी में। प्रेम और सच्चे हृदय में कितनी ताक़त है यह देखने को मिलेगा इस कहानी में।

“मन का मीत”
बहुत पसंद आयी यह कहानी, छोटी, क्रिस्प और सशक्त। लोग गूँगे हो सकते हैं, प्रेम नहीं। जो सुन नहीं सकते उनकी ज़िन्दगी कितनी तक़लीफ़देह हो सकती है उनके आत्मविश्वास पर भी आधात लग सकता है पर इस कहानी ने बिल्कुल सही सकारात्मक पहलू को सामने रखा तथा इसका अंत किसी गाने के सबसे सुंदर आलाप-सा और थोड़ा सुखद आश्चर्य लिए भी है।

“लव यू ज़िंदगी”
हर प्रेम कथा में एक सामाजिक जटिलता या समस्या का ज़िक्र भी है जिसे सही दिशा की ओर मोड़ देने का काम लेखिका ने बड़ी चतुराई और समझदारी के साथ किया है जो बेहद सराहनीय भी है।

“वो बारिश का दिन”, “कसक”
इन दोनों कहानियों में काफ़ी समानता है। एक चुप्पा और एक खामोशी, दोनों का प्रेम इतना उमड़ा ही नहीं कि बाँध का गेट खोला जाए और कुछ भी बहे। बारिश भीतर हुई और जज़्ब हो गयी। ज़िंदगी में कभी-कभी मोहब्बत का नासूर कीलित रह जाता है जो बारिश की सिसकियाँ कहलाता है।

“प्रेम की ख़ुशबू”
ज़िंदगी है तो मसले हैं पर ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है और इश्क़-विश्वास की ख़ुशबू न मिटने पाए यही संदेश है इस कहानी में। फूलों ने अपना रंग यहाँ भी बिखेरा है।

“बसंत पंचमी”
बसंत पंचमी के रंग में रंगी यह कहानी फिसलते-फिसलते संभलने वाले प्रेमी की है। पुरूष का एरोगेंस वैसे भी कपूर है काफ़ूर हो जाता है।

“ख़ुशी के पल”
रिक्त मन प्रेम के दो शब्द से ही भर जाता है। यह कहानी दिए के प्रज्वलन में जगमगा उठी है। इंसानों की कमज़ोरियाँ उनके बँधने में मज़बूती का काम भी कर सकती हैं। इस कहानी में दिए के साथ दूध मोगरा मुस्कुरा रहा है अब दोनों बेहद खुश हैं।

“तर्पण”
स्मृतियों की यात्रा में तिरती कहानी, जो अज्ञेय की निम्न पंक्तियों से ख़त्म होती है –
'दुःख सबको माँजता है और
चाहे स्वयं को, सबको
मुक्ति देना,
वह न जाने, किन्तु
जिनको माँजता है
उन्हें यह सीख देता है
सबको मुक्त रखें।'

स्मृतियों का भी तर्पण हो सकता है !

“अगस्त का समापन”
स्मृतियाँ यहाँ जीवन की यात्रा संगी हैं। रीते पात्र में यादों की गुहर...

“सोलह बरस की बाली उमर”
कच्ची उम्र का प्यार पक्के रंग में नहीं रंग सका। एक सकारात्मक अंत के साथ इस कहानी ने साँस ली।

“भीगी यादें”
परिस्थियों के आगे किसी का बस नहीं और कई बार परिवार ख़ुद दीवार बन जाता है, एक बाँध की तरह, जिसके आगे नदी को भी मुड़ना पड़ता है और वह यूँ ही मुड़ गयी जिम्मेदारियों के रास्ते और पीछे छूट गयीं भीगी पलकें।

“आठवाँ वचन”
प्रेम का अपना अनुभास तंत्र है। उसे इल्मियत आती है और उसे इलहाम भी होता है देवत्व को ढूँढ़ने का और मिलने पर वह आठवाँ वचन लेता है।

“नदी सी तुम”
गीत-संगीत की जुगलबंदी है यह कहानी जो इस संग्रह का शीर्षक भी है। एक नदी में कितनों की गंदगी समाहित है पर नदी की सफ़ाई, पवित्रता की वापसी कौन करेगा ? गंगा सरस्वती न बन जाए उसे विलुप्त होने से जो बचाए वही सच्चा प्रेमी है।

“तू ही रे”
प्रेम अपने चटक रंग से अलग राख़ में बची सुलगन में सिमट गया है इस कहानी में, जबकि उसे पता है राख़ में आँच कभी ख़त्म नहीं होगी।

कई और छोटी कहानियाँ हैं जिनकी धुरी प्रेम, त्याग और समर्पण के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। इन कहानियों की विशेषता है कि हल्के शब्दों में गहरी बातें कही गयी हैं।  किसी रचनाकार के लिए, जिसकी पहली रचना हो और वो इस तरह की सधी हुई कहानियाँ ले कर आये तो उसे बधाई तो बनती है। पहला संग्रह मानो प्रेयसी का रोम प्रहर्षक पहला आलिंगन ! अच्छी कहानियाँ है और उसके लिए सपना शिवाले सोलंकी जी बधाई की पात्र हैं।