जन्म: 21 अगस्त 1976 (मुंगेर, बिहार) यतीश कुमार ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी कविता और कहानी के साथ-साथ
चर्चित उपन्यासों, कहानियों व यात्रा-वृतान्तों पर अपनी विशिष्ट शैली में कविताई से एक अलग पहचान बनाई
है। 1996 बैच के इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स (आईआरएसएमई) अधिकारी यतीश कुमार का दिल
साहित्य के लिए धड़कता है। उनकी कविताएं एवं संस्मरण देश के कई समाचार पत्रों एवं प्रसिद्ध पत्रिकाओं
जैसे कि 'नया ज्ञानोदय', 'हंस', 'अहा ज़िंदगी', 'सन्मार्ग', 'प्रभात ख़बर', 'वागर्थ', ‘माटी’, ‘नया पथ’,
‘समावर्तन’, और ‘पूर्वग्रह’ इत्यादि में समय-समय पर प्रकाशित होते रहे हैं। ‘हिंदवी’, ‘कविताकोश’,
‘समालोचन’, ‘जानकी पुल’, ‘पहली बार’, ‘कविता कोश’ आदि चर्चित साहित्यिक ब्लॉगों पर भी उनकी रचनात्मक
उपस्थिति है।
वर्ष 2021 में राधाकृष्ण पेपरबैक्स से प्रकाशित यतीश कुमार का पहला काव्य-संग्रह ‘अन्तस की खुरचन’ ने
पाठकों, समीक्षकों और आलोचकों का खासा ध्यान आकर्षित किया है। इस संग्रह की समीक्षा देश के
प्रतिष्ठित
समाचार पत्र, पत्रिकाएं और वेब-पोर्टल पर प्रकाशित हो चुके हैं। इस संग्रह को नवभारत टाइम्स, डीएनए
इंडिया (हिंदी), साहित्य तक (इंडिया टुडे ग्रुप) और दैनिक जागरण सरीखे समाचारपत्रों ने वर्ष-2021 की
सर्वश्रेष्ठ काव्य-संग्रह’ की सूची में रखा गया है। संग्रह को जल्द ही पाठकों तक ऑडियो बुक की शक्ल
में
पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। ‘अन्तस की खुरचन’ और कवि यतीश कुमार के रचनाकर्मों को समेटते
वेबसाइट 'खुदरंग' का भी हाल ही में वरिष्ठ कथाकार अलका सरावगी के हाथों लोकार्पण किया गया है।
सक्रिय साहित्य सृजन और कुशल प्रबंधन यतीश कुमार के व्यक्तित्व की विशेषता है। भारतीय रेलवे सेवा में
उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें वर्ष 2006 में राष्ट्रीय पुरस्कार एवं पांच क्षेत्रीय रेलवे पुरस्कार
से भी सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें आर्थिक अध्ययन संस्थान द्वारा “आउटस्टैंडिंग ग्लोबल लीडरशिप
अवार्ड-2019”, वर्ल्ड एचआरडी कांग्रेस द्वारा “सीईओ विद एचआर ओरिएंटेशन” पुरस्कार और वर्ष 2021 में
गवर्नेंस नाउ 8वें पीएसयू अवार्ड में ‘सीएमडी लीडरशिप अवार्ड’ समेत कई सम्मान मिल मिल चुका है। किसी
भी ‘सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम’ के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के रूप में नियुक्त होने वाले सबसे
कम उम्र के अधिकारी यतीश कुमार वर्तमान में ‘ब्रेथवेट एंड कंपनी लिमिटेड’ (रेल मंत्रालय) का
कार्यभार संभाल रहे हैं।
साहित्य साधना के साथ-साथ विभिन्न साहित्यिक-सामाजिक संस्थाओं से भी सक्रिय रूप से जुड़े हैं। श्री
कुमार इन दिनों कोलकाता से संचालित प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था ‘नीलाम्बर’ के अध्यक्ष हैं। साथ ही,
डेढ़ दशक से बाल श्रम के खिलाफ जमीनी कार्य और उक्त उद्देश्य की पूर्ति के लिए विभिन्न गैर सरकारी
संगठनों का सहयोग करते हैं।